श्याम नाम रस पीले मनवा, बून्द बून्द गुण कारी है,
कितने पी कर अमर हो गये, इस रस की बलिहारी है,
श्याम नाम रस पीले मनवा….
ये अनमोल रसायन है जो, पैसो से नहीं बिकता है,
दुनिया के बाज़ारो में ये, ढूंढे से नहीं मिलता है,
प्रेम तराजू तोल के देता, सांवरिया व्यापारी है,
कितने पी कर अमर हो गये, इस रस की बलिहारी है….
श्याम सुधा का स्वाद निराला, पीता किस्मत वाला है,
हो जाता पी कर मतवाला, ये ऐसी मधुशाला है,
दिन दुनि और रात चौगनी, बढ़ती रहे खुमारी रे,
कितने पी कर अमर हो गये, इस रस की बलिहारी है….
जिस ने ये रस पान किया है चमका भाग्ये सीतारा है,
जी भर के पिया करो ये तो अमृत की धारा है,
बिनु जो पीते है उनकी श्याम प्रभु से यारी है,
कितने पी कर अमर हो गये, इस रस की बलिहारी है….
थोड़ी कोशिश करके देखो, लगन तुझे लग जायेगी,
एक दिन ऐसा आयेगा, तेरी चाहत भी रंग लायेगी,
बोल उठेंगे श्याम प्रभु भी, ये मेरा दरबारी है,
कितने पी कर अमर हो गये, इस रस की बलिहारी है….
जिसने ये रसपान किया है, चमका भाग्य सितारा है,
जी भर करके पिया करो, ये तो अमृत की धारा है,
‘बिन्नू’ जो पीते है उनकी, श्याम प्रभु से यारी है,
कितने पी कर अमर हो गये, इस रस की बलिहारी है
+ There are no comments
Add yours