आरती सरस्वती जी – ओइम् जय वीणे वाली

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आरती सरस्वती जी – ओइम् जय वीणे वाली

ओइम् जय वीणे वाली,
मैया जय वीणे वाली
ऋद्धि-सिद्धि की रहती,
हाथ तेरे ताली

ऋषि मुनियों की बुद्धि को,
शुद्ध तू ही करती
स्वर्ण की भाँति शुद्ध,
तू ही माँ करती॥

ज्ञान पिता को देती,
गगन शब्द से तू
विश्व को उत्पन्न करती,
आदि शक्ति से तू॥

हंस-वाहिनी दीज,
भिक्षा दर्शन की
मेरे मन में केवल,
इच्छा तेरे दर्शन की॥

ज्योति जगा कर नित्य,
यह आरती जो गावे
भवसागर के दुख में,
गोता न कभी खावे॥

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