![आरती श्री वृषभानुसुता की|आरती श्री वृषभानुसुता की|Indichalisa|Indichalisa](https://indichalisa.com/wp-content/uploads/2024/01/COOLEST-WEARABLE-GADGETS-32-1024x512.png)
आरती श्री वृषभानुसुता की,
मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,
विमल विवेकविराग विकासिनि।
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि,
सुन्दरतम छवि सुन्दरता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता।
मुनि मन मोहन मोहन मोहनि,
मधुर मनोहर मूरति सोहनि।
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि,
प्रिय अति सदा सखी ललिता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता।
संतत सेव्य सत मुनि जनकी,
आकर अमित दिव्यगुन गनकी।
आकर्षिणी कृष्ण तन मन की,
अति अमूल्य सम्पति समता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता।
कृष्णात्मिका कृष्ण सहचारिणि,
चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि।
जगज्जननि जग दुःखनिवारिणि,आ
दि अनादि शक्ति विभुता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की।
अधिक चालीसा के लिए दैनिक आधार पर indichalisa.com को फॉलो करें।
+ There are no comments
Add yours